पत्रकारिता का गिरता स्वरूप, खो रहीं है पत्रकारिता की मूल भावना !

लेखक: भगाराम पंवार, संवाददाता, दैनिक जलते दीप बालोतरा Email:-brpanwar123@gmail.com पहले समाचार या विचार अखबारों में पढ़े जाते थे, फिर समाचार आकाश से आकाशवाणी के रूप में लोगों के कानों तक पहुंचने लगे। बाद में टेलिविजन का जमाना आया तो लोग समाचारों और अपनी रुचि के विचारों को सुनने के साथ ही सजीव देखने भी लगे। इन इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों की बदौलत अशिक्षित लोग भी देश-दुनिया के हाल स्वयं जानने लगे। टेलीविजन का युग आने तक आप इन सभी माध्यमों से अपने घर या दफ्तर में बैठ कर दुनिया के समाचार जान लेते थे। लेकिन सूचना महाक्रांति के इस दौर में अब सारी दुनिया आपकी जेब में आ गई है। आप कहीं भी हों, आपके जेब में पड़ा मोबाइल न केवल आपको अपने परिजनों और चाहने वालों से सम्पर्क बनाए रखता है, अपितु आपको दुनिया का पल-पल का हाल बता देता है। लेकिन वास्तविक मीडिया और सोशल मीडिया में ऐसी सूचनाओं का बहुत अधिक फर्क है। सोशल मीडिया पर पाठकों को परोसा गया कंटेंट आधा सच होता है और आधा झूठ। यह समाज और लोकतंत्र के लिए घातक है। जिसकी जेब में मोबाइल वहीं पत्रकार सोशल मीडिया के इस युग में तो हर आदमी खबर नवीस की भूमि...